Thursday 19 September 2013

क्या लिखू

क्या  लिखू 
कि  66  साल  में  देश  इतना  बढ़  गया  है  कि 
एक  इंसान  को  दूसरा  इंसान  नहीं  दिखता
क्या  लिखू 
कि  जो  हाथ  कही  लग  जाये  तो  पत्थर  को  भी  सोना  कर  दे
आज  उन  हाथो  से  बना  माल  नहीं  बिकता 

क्या  लिखू 
कि  अब  घर  और  मकान  में  फर्क  नहीं  रहा
धरती  पे  एक  ही  तो  स्वर्ग  था  वो  स्वर्ग  नहीं  रहा  है 

क्या  लिखू 
कि  लाल  मिर्च  से  अब  नज़र  नहीं  उतर  ती  है
भिन्डी  की  सब्जी  अब  गले  से  नहीं  उतर  ती  है
अब  तो  खाना  हमको  खायेगा  ये  दिन  भी  आयेंगे 
भगवन  अब  धरती  पर  कब  आयेंगे ? 

क्या  लिखू
कि  अब  तो  सच्चा  प्यार  भी  फेसबुक  पे  मिलता  है
ईमान  जैसे  एक  पेड़  है  जो  हवा  के  साथ  हिलता  है 
घर  100*100  का  और  दिल  चींटी  से  भी  छोटा  है 
इतना  तो  अंग्रेजो  ने  नहीं  लूटा  जितना  कांग्रेस  ने  लूटा  है 

क्या  लिखू 
कि  हम  खुद  तो  नहीं  जागते  ना  दुसरो  को  जगाते  है 
एक  दुसरे  की  राह  में  बस  कांटे  बिछाते  है 
अब  तो  चप्पल  पहन  कर  भी  चुभन  महसूस  होती  है 
यहाँ  हर  प्रशन  का  जवाब  सिर्फ  घूस  होती  है 

अच्छा  तो  सब  लिखते  है 
सोचा  कुछ  सच्चा  लिखू 
पर  सोचता  ही  रह  गया 
क्या  लिखू  क्या  लिखू  क्या  लिखू