ना जाने क्या जल्दी थी वापस जाने की
शायद आखिरी सेमेस्टर था इसलिए
छुट्टियां सच मै बङे दिन की लग रही थी
रात को इस उत्सुकता मे नींद नही आती थी की कल एक और दिन कम हो जायेगा
कितनी पराई लगी थी पहले दिन वो जगह
आज वहाँ जाने के लिए तड़प रहे है
इतनी खुशियाँ कैद है वहाँ कि
हर कोने मै एक मुस्कान नज़र आती है
उसको अब होस्टल कहने का मन नही करता
मेरा घर मेरा दिहिंग ये सुनना अच्छा लगता है
ना जाने कैसा लगेगा जब यहाँ से जायेंगे
डर लगता है सोच के वापस एक नयें माहौल मे जायेंगे
पर ये जरूर पता है
जितना सुकून वहाँ जाकर मिलता था शायद ही मिले अब कहीं
वो लोग शायद ही मिले अब कहीं
Friday 25 December 2015
दिहिंग
Tuesday 13 October 2015
गरमी की छुट्टियां
क्लास में बैठें बैठें जब मे बाहर देखता हूँ
वो मैदान मुझे ललचाता है
बार बार कहता है
मै अधुरा हूँ तुम्हारे बिना
वो मैदान मुझे ललचाता है
बार बार कहता है
मै अधुरा हूँ तुम्हारे बिना
सुखा पडा रहता हे वो नल
जहाँ पानी पीने के लिए लडाईयां हो जाती थी
चुपचाप बैठी रहती हे वो अम्मा आजकल
जिसको अकसर हमारी गेंद छुपाने को मिल जाती थी
शायद वो भी मायूस हो गई है खाली मैदान की तरह
जहाँ पानी पीने के लिए लडाईयां हो जाती थी
चुपचाप बैठी रहती हे वो अम्मा आजकल
जिसको अकसर हमारी गेंद छुपाने को मिल जाती थी
शायद वो भी मायूस हो गई है खाली मैदान की तरह
चुपचाप निकल जाता है वो चुस्की वाला भैया
जिसकी घंटी की आवाज़ सुनकर खेल में अल्प विराम लग जाता था
याद आती है मुझे वो बातें
चुस्की खाते वक़्त
उस बरगद के नीचे
लू भी ठंडी शीतल हवा लगती थी जहाँ
क्रिकेट पे वाद विवाद का वहाँ अलग ही मज़ा था
पर अब गर्मियों की छुट्टियां खतम हो गई है
देख रहा हूँ में उस मैदान को अभी भी
वो अभी भी मुझको बुला रहा हैं!
Sunday 4 October 2015
भगवान
तू इतनी सुंदर है , शायद ही तुझसा कोई हो
तू माँ हैं , शायद ही तुझसा कोई हो
तेरे जीने की वज़ह तेरा परिवार होता हैं
तुझे कैसे सबसे इतना प्यार होता है ?
खुद को तू वक़्त कभी देती नहीं
अपनों के ख़िलाफ़ कुछ सहती नहीं
माँ तुझ जैसा बनना असंभव सा लगता हैं
किसी से इतना प्यार पाना सपना लगता हैं
इतना बड़ा दिल की दुनिया समां जाये
इतना त्याग सबके लिया की तुजे भगवान कहा जाये
अपने हर हाल को तू ठीक कहती हैं
हमारे लिए मुश्किलें तू हँस कर सह लेती हैं
माँ तू एक अजूबा हैं ये बात मैंने मान ली हैं
तू धरती पे भगवान का रूप है ये बात मैंने जान ली हैं!
तू माँ हैं , शायद ही तुझसा कोई हो
तेरे जीने की वज़ह तेरा परिवार होता हैं
तुझे कैसे सबसे इतना प्यार होता है ?
खुद को तू वक़्त कभी देती नहीं
अपनों के ख़िलाफ़ कुछ सहती नहीं
माँ तुझ जैसा बनना असंभव सा लगता हैं
किसी से इतना प्यार पाना सपना लगता हैं
इतना बड़ा दिल की दुनिया समां जाये
इतना त्याग सबके लिया की तुजे भगवान कहा जाये
अपने हर हाल को तू ठीक कहती हैं
हमारे लिए मुश्किलें तू हँस कर सह लेती हैं
माँ तू एक अजूबा हैं ये बात मैंने मान ली हैं
तू धरती पे भगवान का रूप है ये बात मैंने जान ली हैं!
Friday 17 July 2015
करने से होगा !
अगर हो अंधेरा तो दीपक जला कर देखो
चाहे कितना भी हो डर कदम बढ़ा कर देखो
लोगो को दुख तो बिजली के बिल भी दे जाते है
चाहे कितना भी हो डर कदम बढ़ा कर देखो
लोगो को दुख तो बिजली के बिल भी दे जाते है
चलते फिरते कभी किसी को हँसा कर देखो
लगती है जो तुम्हें ये दुनिया इतनी बेकार
ज़रा अपने चश्मे से धुल हटा कर देखो
ज़रा अपने चश्मे से धुल हटा कर देखो
लोगो कि आदतों से उनकी छवि जो तुम बना लेते हो
कभी उनके दिल के पास जाकर तो देखो
कभी उनके दिल के पास जाकर तो देखो
देखनी हो अगर दुनिया में सबसे खुबसूरत मुस्कान
कभी अपनी माँ के लिए थोडा़ वक्त निकाल कर देखो
कभी अपनी माँ के लिए थोडा़ वक्त निकाल कर देखो
हालातों से हार कर जो तुम बेठ गऐ हो
होते हैं सपने सच थोड़ी उम्मीद जगा कर तो देखो
होते हैं सपने सच थोड़ी उम्मीद जगा कर तो देखो
Sunday 28 June 2015
थोडा़ गुस्सा थोड़ी नाराज़गी !!
सितारों तक जाने की सड़क नही मिलती
मुझे अपने अंदर की तड़प नही मिलती
रोज मुंह फेर के चली जाती है वो
मुझे उसकी नफ़रत की जड़ नही मिलती
मुझे अपने अंदर की तड़प नही मिलती
रोज मुंह फेर के चली जाती है वो
मुझे उसकी नफ़रत की जड़ नही मिलती
कहना वो भी चाहती है बहुत कुछ सबसे
पर इस समाज से लडने की उसकी हिम्मत नही होती
पर इस समाज से लडने की उसकी हिम्मत नही होती
बेबस हो के रह जाते है लोग याहां पे धर्म के नाम पे
आतंकवादी बनने की हमे ज्यादा ओप्पोर्तुनिटी नहीं मिलती
अमीरो की दिक्कतें शायद ज्यादा बडी होती होगी
आतंकवादी बनने की हमे ज्यादा ओप्पोर्तुनिटी नहीं मिलती
अमीरो की दिक्कतें शायद ज्यादा बडी होती होगी
तब ही तो गरीबों की सुनने के लिए किसी को फुर्सत नहीं मिलती
कलम से क्रांति लाने वाले दिन शायद चले गऐ
इन बुझे हुए लोगो मे शायरी की किमत नही मिलती
उन तीन चार लोगो के सामने रो लिया करता हु मै
कुछ लोग हैं जिन्हें मेरे गमो मे खुशी नही मिलती
Thursday 21 May 2015
ज़रूरत क्या थी
अभी दूर जाने की ज़रूरत क्या थी
इतना जल्दी आज़माने की ज़रूरत क्या थी
चंद दिन ही तो गुजरे थे तेरी बाँहो में अभी
यू छोड़ के जाने की ज़रूरत क्या थी
माना तूजे धोखे मिले है बहुत
तेरी जल्द बजी एक तरह से सही भी है
पर हमारे दिल को ये मानने की ज़रूरत क्या थी
थोड़ा रुकते मोहब्बत को जवाँ तो होने देते
एक दूजे को एक दूजे में फ़ना तो होने देते
इतनी जल्दी इन इम्तहानो की ज़रूरत क्या थी
हम तो कब से बैठे थे तुम्हारे इंतज़ार में
तुम घूम रहे थे इश्क़ के बाज़ारो में
इतनी जल्दी मोहब्बत की गलियो में जाने की ज़रूरत क्या थी
इतना जल्दी आज़माने की ज़रूरत क्या थी
चंद दिन ही तो गुजरे थे तेरी बाँहो में अभी
यू छोड़ के जाने की ज़रूरत क्या थी
माना तूजे धोखे मिले है बहुत
तेरी जल्द बजी एक तरह से सही भी है
पर हमारे दिल को ये मानने की ज़रूरत क्या थी
थोड़ा रुकते मोहब्बत को जवाँ तो होने देते
एक दूजे को एक दूजे में फ़ना तो होने देते
इतनी जल्दी इन इम्तहानो की ज़रूरत क्या थी
हम तो कब से बैठे थे तुम्हारे इंतज़ार में
तुम घूम रहे थे इश्क़ के बाज़ारो में
इतनी जल्दी मोहब्बत की गलियो में जाने की ज़रूरत क्या थी
Wednesday 22 April 2015
आज का भारत !!
सज़ा हुआ ये सारा जहाँ तो दिखता है
फुटपाथ पे पड़े इंसान नही दिखते
बड़ता हुआ सचिन सहवाग तो दिखता है
कितने मर रहे यहाँ किसान नही दिखते
गलियो में बिजली की चोरियां तो दिखती है
नेता कर रहे घोटाले नही दिखते
गर्लफ्रेंड की बातो में प्यार बहुत दिखता है
माँ के प्यार भरे हाथ नही दिखते
काले धन की कमाई में लालच तो दिखता है
लूट रहे आम इंसान नही दिखते
चाँद पे जाता हुआ आदमी तो दिखता है
गलियो में घूमते अज्ञान नही दिखते
बड़ी बड़ी ऊँची ऊँची इमारतें तो दिखती है
नीचे गिर रहे यहाँ ईमान नही दिखते !!
फुटपाथ पे पड़े इंसान नही दिखते
बड़ता हुआ सचिन सहवाग तो दिखता है
कितने मर रहे यहाँ किसान नही दिखते
गलियो में बिजली की चोरियां तो दिखती है
नेता कर रहे घोटाले नही दिखते
गर्लफ्रेंड की बातो में प्यार बहुत दिखता है
माँ के प्यार भरे हाथ नही दिखते
काले धन की कमाई में लालच तो दिखता है
लूट रहे आम इंसान नही दिखते
चाँद पे जाता हुआ आदमी तो दिखता है
गलियो में घूमते अज्ञान नही दिखते
बड़ी बड़ी ऊँची ऊँची इमारतें तो दिखती है
नीचे गिर रहे यहाँ ईमान नही दिखते !!
Thursday 26 February 2015
अकेला मैं !!
छुप कर बैठा हु अकेले कमरे में
अँधेरे में रहना मुझे अच्छा लगता है
कभी सच से भागना अच्छा लगता है
वहाँ जहा कोई अपना न हो
मुझे रिश्ते निभाने में डर लगता है
माना अकेले रास्ता बहुत लम्बा है
और रस्ते पे धुप और कांटे भी है
पर जिस राह पे में चल रहा हु
वहाँ कोई चले इससे मुझे डर लगता है
बाहर निकलता हु तो सिर्फ कड़वे दिल नज़र आते है
करेला खाना भी अब मुझे अच्छा लगता है
शराब में अंगूर के अलावा कुछ और भी होता होगा
जभी तो पीने के बाद हर मुँह से सिर्फ सच निकलता है
कभी कभी वो बिना बात के रूठ जाती है
मेरा उसको मनाना उसे अच्छा लगता है
दुनिया को मुझमे जज़्बात नही दिखते
दर्द दिल में छुपाना मुझे अच्छा लगता है
भागते हुए लोगो को देख कर घबराट होती है
मुझे पुराना जमाना अच्छा लगता है
अँधेरे में रहना मुझे अच्छा लगता है
कभी सच से भागना अच्छा लगता है
वहाँ जहा कोई अपना न हो
मुझे रिश्ते निभाने में डर लगता है
माना अकेले रास्ता बहुत लम्बा है
और रस्ते पे धुप और कांटे भी है
पर जिस राह पे में चल रहा हु
वहाँ कोई चले इससे मुझे डर लगता है
बाहर निकलता हु तो सिर्फ कड़वे दिल नज़र आते है
करेला खाना भी अब मुझे अच्छा लगता है
शराब में अंगूर के अलावा कुछ और भी होता होगा
जभी तो पीने के बाद हर मुँह से सिर्फ सच निकलता है
कभी कभी वो बिना बात के रूठ जाती है
मेरा उसको मनाना उसे अच्छा लगता है
दुनिया को मुझमे जज़्बात नही दिखते
दर्द दिल में छुपाना मुझे अच्छा लगता है
भागते हुए लोगो को देख कर घबराट होती है
मुझे पुराना जमाना अच्छा लगता है
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