Tuesday 10 June 2014

सबको ज़िंदगी के सब rule आते है

सबको  ज़िंदगी  के  सब  rule  आते  है
कुछ  याद  रखते  है  कुछ  भूल  जाते  है
लिखे  थे  जो  खत  उसको  देने  के  लिए
आज  पड़े  कही  कोने  में  वो  धूल  खाते  है

नहाने  के  बाद  खुद  को  आईने  में  देख  कर  याद  कर  लेते  है
वरना  तो  हम  खुद  को  रोज़  भूल  जाते  है

हमने  कहने  की  कोशिश  बहुत  की  पर  कभी  कह  न  पाये
पर  वो  हर  बार  आते  जाते  कुछ  बोल  जाते  है

कश्ती  पर  भरोसा  कर  के  उसमे  बैठ  तो  जाते  है
पर  कश्ती  चलने  वाले  को  क्यों  भूल  जाते  है ?

अरे  ओ  ज़िंदगी  भर  नफरत  करने  वालो
तुम्हे  क्या  लगता  है  गंगा  नहाने  से  क्या  पाप  धूल  जाते है ?

देखा  था  एक  चाँद  का  टुकड़ा  एक  दिन  बस  स्टैण्ड  पर
आज  कल  बस  पकड़ने  हम  रोज़  जाते  है

सच्चा  हूँ     दिल  नही  दुखाया  कभी  किसी  का
ना  जाने  क्यों  मेरे  बोलने  से  लोग  चीड़  जाते  है

अच्छे  काम  करने  वालो  विश्वास  रखो  उस  ऊपर  वाले  पे
आते  है  भगवन  ज़मीन  पे  जरूर  आते  है