Thursday 26 February 2015

अकेला मैं !!

छुप  कर  बैठा  हु  अकेले  कमरे  में
अँधेरे  में  रहना  मुझे  अच्छा  लगता  है
कभी  सच  से  भागना  अच्छा  लगता  है
वहाँ  जहा  कोई  अपना  न  हो
मुझे  रिश्ते  निभाने  में  डर  लगता  है

माना  अकेले  रास्ता  बहुत  लम्बा  है
और  रस्ते  पे  धुप  और  कांटे  भी  है
पर  जिस  राह  पे  में  चल  रहा  हु
वहाँ  कोई  चले  इससे  मुझे  डर  लगता  है

बाहर  निकलता  हु  तो  सिर्फ  कड़वे  दिल  नज़र  आते  है
करेला  खाना  भी  अब  मुझे  अच्छा  लगता  है

शराब  में  अंगूर  के  अलावा  कुछ  और  भी  होता  होगा
जभी  तो  पीने  के  बाद  हर  मुँह  से  सिर्फ  सच  निकलता  है

कभी  कभी  वो  बिना  बात  के  रूठ  जाती  है
मेरा  उसको  मनाना  उसे  अच्छा  लगता  है

दुनिया  को  मुझमे  जज़्बात  नही  दिखते
दर्द  दिल  में  छुपाना  मुझे  अच्छा  लगता  है

भागते  हुए  लोगो  को  देख  कर  घबराट  होती  है
मुझे  पुराना  जमाना  अच्छा  लगता  है