Sunday 7 September 2014

दोस्ती

देख के अपनी दोस्ती
ये  दुनिया क्यों  है हमको कोसती
जलती है या डरती  है
या मेरी खुशिया इनको खलती है

सबने शायद  चाँद देखा है
में चाँद के साथ रहता हू
हर यार ने ये बात कही है
आज में फिर कहता हू

तू मिला सब मिला
तू नही तो कुछ नहीं
खुशियो में तेरे बिना खुश रहता नही
दुःख तेरे बिना सहता नहीं

अब तू मेरी एक आदत है
रब से यही  इबादत है
साथ तेरे काट जाये सफर
तेरे साथ काटो का भी ना हो असर

आँखे जब बंद हो मेरे चेहरे पे मुस्कान हो
और तेरे काँधे पे  हो मेरा सर

Tuesday 10 June 2014

सबको ज़िंदगी के सब rule आते है

सबको  ज़िंदगी  के  सब  rule  आते  है
कुछ  याद  रखते  है  कुछ  भूल  जाते  है
लिखे  थे  जो  खत  उसको  देने  के  लिए
आज  पड़े  कही  कोने  में  वो  धूल  खाते  है

नहाने  के  बाद  खुद  को  आईने  में  देख  कर  याद  कर  लेते  है
वरना  तो  हम  खुद  को  रोज़  भूल  जाते  है

हमने  कहने  की  कोशिश  बहुत  की  पर  कभी  कह  न  पाये
पर  वो  हर  बार  आते  जाते  कुछ  बोल  जाते  है

कश्ती  पर  भरोसा  कर  के  उसमे  बैठ  तो  जाते  है
पर  कश्ती  चलने  वाले  को  क्यों  भूल  जाते  है ?

अरे  ओ  ज़िंदगी  भर  नफरत  करने  वालो
तुम्हे  क्या  लगता  है  गंगा  नहाने  से  क्या  पाप  धूल  जाते है ?

देखा  था  एक  चाँद  का  टुकड़ा  एक  दिन  बस  स्टैण्ड  पर
आज  कल  बस  पकड़ने  हम  रोज़  जाते  है

सच्चा  हूँ     दिल  नही  दुखाया  कभी  किसी  का
ना  जाने  क्यों  मेरे  बोलने  से  लोग  चीड़  जाते  है

अच्छे  काम  करने  वालो  विश्वास  रखो  उस  ऊपर  वाले  पे
आते  है  भगवन  ज़मीन  पे  जरूर  आते  है

Friday 11 April 2014

जिंदगी चलती जाती है

जिंदगी चलती जाती है
बचपन होता है
जवानी खिलती है
और फिर मौत आजाती है

समय कि रफ़्तार से जो चला वो जीता है
और जो  रह गया पीछे उसकी दुनिया उजड़ जाती है
जिंदगी चलती जाती है

वो खुश नसीब है जिनके दिल के कागज़ पे कोई नाम लिख गया
वरना ज़िंदगियाँ तो कोरे कागज़ सी गुजर जाती है
जिंदगी चलती जाती है

जिसे रास न आया ये जहाँ उसने अपना जहाँ बना लिया
और कुछ लोगो को तो मजबूरियाँ ही मार जाती है
जिंदगी चलती जाती है

प्यार में जो जान देदे, वो बुजदिल आशिक नहीं
सच्चे आशिको कि ज़िंदगी तो यादों के सहारे गुजर जाती है
जिंदगी चलती जाती है

जो फूलो में पले है उन्हें दर्द का क्या पता
कुछ ज़िंदगियाँ तो काँटों पे गुजर जाती है
जिंदगी चलती जाती है

Wednesday 15 January 2014

क्या करू माँ आज तेरी याद आ ही गई

सोचा  था  मन  लगा  लूंगा  अपना  कही  और  तुझे  भूल  जाऊंगा 
न  तेरी  याद  में  अकेला  बैठूंगा  न  आँसू  बहाऊंगा 
पर  क्या  करू   माँ  आज  तेरी  याद  आ  ही  गई 

बीमार  होता  था  जब , तब  तू  पास  होती  थी 
आज  बीमार  हु  तो  तुझे  बताने  में  भी  डर  लगता  है 
तू  जब  अपने  हाथ  से  रोटी  खिलाती  थी  तो  सब  ठीक  लगता  था 
पर  अब  अकेले  खाने  का  मन  नही  करता  है 
सोचा  था  अकेले  लड़ने  कि  हिम्मत  आ  गई 
पर  क्या  करू  माँ  आज  तेरी  याद  आ  ही  गयी 

मेरे  हर  झूठ  को  जो  तू  ऐसे  पकड़  लेती  है 
मुझसे  तो  नहीं  पूछती  पर 
मेरी  आवाज़  से  मेरा  हाल  पता  कर  लेती  है
ये  जादूगरी  तूने  कहा  से  सीखी  है?
तेरे  आगे  तो  कृष्ण  कि  लीला  भी  फीकी  है 

अभी  लगा  ही  था  कि  तेरे  बिना  ये  दुनिया  रास  आगई 
पर  क्या  करू  माँ  आज  तेरी  याद  आ  ही  आगई !!

Love  you  maa!! :')