Sunday 7 September 2014

दोस्ती

देख के अपनी दोस्ती
ये  दुनिया क्यों  है हमको कोसती
जलती है या डरती  है
या मेरी खुशिया इनको खलती है

सबने शायद  चाँद देखा है
में चाँद के साथ रहता हू
हर यार ने ये बात कही है
आज में फिर कहता हू

तू मिला सब मिला
तू नही तो कुछ नहीं
खुशियो में तेरे बिना खुश रहता नही
दुःख तेरे बिना सहता नहीं

अब तू मेरी एक आदत है
रब से यही  इबादत है
साथ तेरे काट जाये सफर
तेरे साथ काटो का भी ना हो असर

आँखे जब बंद हो मेरे चेहरे पे मुस्कान हो
और तेरे काँधे पे  हो मेरा सर