सोचा था मन लगा लूंगा अपना कही और तुझे भूल जाऊंगा
न तेरी याद में अकेला बैठूंगा न आँसू बहाऊंगा
पर क्या करू माँ आज तेरी याद आ ही गई
बीमार होता था जब , तब तू पास होती थी
आज बीमार हु तो तुझे बताने में भी डर लगता है
तू जब अपने हाथ से रोटी खिलाती थी तो सब ठीक लगता था
पर अब अकेले खाने का मन नही करता है
सोचा था अकेले लड़ने कि हिम्मत आ गई
पर क्या करू माँ आज तेरी याद आ ही गयी
मेरे हर झूठ को जो तू ऐसे पकड़ लेती है
मुझसे तो नहीं पूछती पर
मेरी आवाज़ से मेरा हाल पता कर लेती है
ये जादूगरी तूने कहा से सीखी है?
तेरे आगे तो कृष्ण कि लीला भी फीकी है
अभी लगा ही था कि तेरे बिना ये दुनिया रास आगई
पर क्या करू माँ आज तेरी याद आ ही आगई !!
Love you maa!! :')
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